Contract Employees Regularization Latest Update: तदर्थ और संविदा कर्मचारियों को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने अहम आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि इन कर्मचारियों का वेतन फिलहाल नहीं बढ़ेगा लेकिन अब इन्हें नियमित कर्मचारियों के समान दर्जा मिलेगा। इस आदेश से आयोग में वर्षों से कार्यरत तदर्थ कर्मियों की स्थायी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दी स्थायी नियुक्ति की राहत
यह मामला लंबे समय से आयोग में अस्थायी तौर पर काम कर रहे कर्मचारियों से जुड़ा था। लगातार रेगुलराइजेशन की मांग कर रहे इन कर्मियों के पक्ष में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नियमित सेवा का लाभ देने का निर्देश दिया। इस फैसले से संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक नया अध्याय शुरू हो गया है।
अब मिलेंगी पक्के नौकरी जैसी सुविधाएं
फैसले के बाद ये सभी कर्मचारी अब स्थायी कर्मचारियों के रूप में माने जाएंगे। उन्हें वही अधिकार और लाभ दिए जाएंगे जो अन्य रेगुलर कर्मियों को मिलते हैं। इसमें नौकरी की स्थिरता, वेतन-भत्तों का लाभ, पदोन्नति के अवसर, पेंशन और अन्य सेवा सुविधाएं शामिल होंगी।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थायी पदों पर लंबे समय तक संविदा कर्मचारियों से काम लेना प्रशासनिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है। सरकार और आयोग को चाहिए कि समय पर स्थायी नियुक्तियां करें और अस्थायी नियुक्तियों की प्रवृत्ति से बचें। अदालत ने यह भी माना कि तदर्थ नौकरियों पर निर्भरता से कर्मचारियों का भरोसा और कार्यक्षमता दोनों प्रभावित होती हैं।
कर्मचारियों के लिए राहत और उम्मीद
इस आदेश से आयोग में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। अब वे पूरी तरह नियमित माने जाएंगे और अपने अधिकार सुरक्षित कर सकेंगे। साथ ही, यह फैसला उन सभी संविदा कर्मियों के लिए भी उम्मीद की किरण है जो वर्षों से स्थायी पदों पर कार्य कर रहे हैं और रेगुलराइजेशन का इंतजार कर रहे हैं।